उत्तराखंड सरकार द्वारा सम्पूर्ण सितम्बर माह स्वच्छता को समर्पित किया गया है तथा सम्पूर्ण भारत में इसे वृहद स्तर पर जोर शोर से चलाया जा रहा है ताकि यहां रहने वाला हर एक नागरिक अपने परिवेश व जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हो सके,स्वच्छता न केवल हमारे आस-पास की सफाई है, बल्कि यह हमारे मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य है। हमारे देश में स्वच्छता को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से “स्वच्छता ही सेवा” अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान न केवल सफाई को बढ़ावा देने के लिए है, बल्कि समाज में सेवा की भावना जागृत करने के लिए भी है।
स्वच्छता का महत्व: स्वच्छता केवल एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक कर्तव्य है। गंदगी और कूड़े-कचरे से उत्पन्न होने वाली बीमारियां जैसे कि मलेरिया, डेंगू, और चिकनगुनिया, एक बड़े समुदाय को प्रभावित कर सकती हैं। स्वच्छ वातावरण न केवल हमें बीमारियों से बचाता है, बल्कि हमारे मानसिक और शारीरिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। जब हमारा पर्यावरण स्वच्छ होता है, तो हम स्वस्थ और खुशहाल महसूस करते हैं। इसके अलावा, स्वच्छता से हमारी जीवन शैली और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है।
स्वच्छता और सेवा: स्वच्छता को सेवा का रूप मानने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम अपने समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनें। जब हम स्वच्छता को सेवा मानते हैं, तो हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए कार्य कर रहे होते हैं। एक स्वच्छ समाज के निर्माण में हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होता है। सड़कें, गली-मोहल्ले, सार्वजनिक स्थान और हमारे आसपास का पर्यावरण तभी स्वच्छ हो सकता है जब हम इसे एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में लें।
सरकार और समाज का योगदान: भारत सरकार ने 2014 में “स्वच्छ भारत अभियान” की शुरुआत की, जिसके तहत लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। इस अभियान ने स्वच्छता को जनांदोलन का रूप दिया। स्वच्छता ही सेवा अभियान उसी दिशा में एक और कदम है, जिसमें लोगों को सेवा की भावना से सफाई करने और दूसरों को जागरूक करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों, स्कूलों, कॉलेजों और व्यक्तियों ने भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी दिखाई है। हर व्यक्ति का योगदान इस मिशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का महत्व सभ्य समाज के निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वच्छता का अर्थ केवल अपने आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सोच और आदत है जो हमारे जीवन और समाज को सुधारने में सहायक होती है। “स्वच्छता ही सेवा” का यह नारा हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि सफाई की प्रक्रिया न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए होती है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक सेवा का कार्य है।
भारत में स्वच्छता की स्थिति लंबे समय तक चिंता का विषय रही है। गंदगी, कूड़ा-कचरा, खुले में शौच जैसी समस्याएं स्वास्थ्य के लिए तो खतरनाक हैं ही, साथ ही यह एक समाज की नैतिकता और अनुशासन को भी प्रभावित करती हैं। इसी के मद्देनज़र 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “स्वच्छ भारत अभियान” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य पूरे भारत को स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त बनाना था। इस अभियान के बाद “स्वच्छता ही सेवा” की परिकल्पना सामने आई, जो स्वच्छता को सेवा की भावना से जोड़ती है।
स्वच्छता ही सेवा अभियान की आवश्यकता
स्वच्छता ही सेवा अभियान की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता की कमी थी। लोगों ने सफाई को केवल सरकारी जिम्मेदारी समझ रखा था। लेकिन इस अभियान का उद्देश्य था कि हर व्यक्ति स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी माने। जब हम अपने घरों के आसपास के क्षेत्रों को साफ रखते हैं और कूड़ा-कचरा फैलाने से बचते हैं, तो हम सीधे-सीधे समाज को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में योगदान करते हैं।
यह अभियान उन स्थानों पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जो स्वच्छता की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं जैसे कि ग्रामीण क्षेत्र, सार्वजनिक शौचालय, स्कूल और कॉलेज। इन स्थानों पर सफाई की जिम्मेदारी को सेवा का रूप देकर समाज को यह संदेश दिया जाता है कि स्वच्छता की सेवा सभी के लिए अनिवार्य है।
स्वच्छता अभियान में समाज की भागीदारी
इस अभियान की सफलता का प्रमुख कारण समाज की व्यापक भागीदारी रही है। कई स्वयंसेवी संगठन, शैक्षिक संस्थान, सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी इस अभियान में शामिल हुए हैं। स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा, कई फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों ने भी इस अभियान में हिस्सा लेकर इसे एक जनांदोलन का रूप दिया।
स्वच्छता अभियान के तहत न केवल शारीरिक सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है, बल्कि लोगों की मानसिकता को बदलने पर भी जोर दिया जा रहा है। लोगों को यह समझाना कि स्वच्छता किसी एक दिन की नहीं, बल्कि एक दैनिक आदत होनी चाहिए, इस अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है।
निष्कर्ष
“स्वच्छता ही सेवा” केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा है जो हमारे समाज की जड़ों को मजबूत करती है। एक स्वच्छ समाज केवल स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि सम्मान और स्वाभिमान को भी बढ़ावा देता है। जब हम स्वच्छता को सेवा का रूप देते हैं, तो हम न केवल अपने समाज को स्वच्छ और सुंदर बनाते हैं, बल्कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की नींव रखते हैं।
स्वच्छता एक निरंतर प्रक्रिया है, और इसे हमें अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। हम सभी को मिलकर इस विचारधारा को अपनाना चाहिए कि स्वच्छता ही सेवा है और यह हमारे समाज के समग्र विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है।